बीते शनिवार को हमास ने इजरायल पर जब अचानक धावा बोला तो पूरी दुनिया ही हैरान रह गई। आसमान, जमीन और समुद्र तक से हमास ने संयोजित हमला बोला और इजरायल में बड़े पैमाने पर हिंसा कर दी। इस हमले में अब तक 1200 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग बंधक हैं। हमास ने यह हमला क्यों बोला और इजरायल इसके लिए अपनी ख्याति के मुताबिक तैयार क्यों नहीं था? ऐसे तमाम सवालों के जवाब लोग जानना चाहते हैं, लेकिन अहम बात यह है कि हमास के इस हमले की जड़ दो साल पहले यरूशलम की पवित्र अल अक्सा मस्जिद को लेकर हुए विवाद से भी जुड़ी है।
दरअसल यरूशलम में स्थित अल अक्सा मस्जिद और उसके आसपास के परिसर को लेकर इस्लाम, यहूदी और ईसाई मजहब की अलग-अलग मान्यताएं हैं। इस मस्जिद के पास ही रॉक ऑफ डोम है, जिसे यहूदी टेंपल माउंट कहते हैं। वे मानते हैं कि इसी टेंपल माउंट में उनके देवता की ओर से दिए 10 संदेशों को रखा गया है। इसके अलावा इस परिसर की पश्चिमी दीवार पर वे पूजा भी करते हैं। वहीं इस्लाम के अनुयायियों का मानना है कि अल अक्सा मस्जिद वह जगह है, जहां से पैगंबर मोहम्मद ने जन्नत का रास्ता तय किया था। इसके अलावा यहीं पर स्थित पश्चिमी दीवार के पास उन्होंने अपने बुराक घोड़े को भी बांधा था।
अल अक्सा मस्जिद के 11 प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से 10 से मुस्लिमों को ही एंट्री की परमिशन हैं। एकमात्र रास्ता यहूदी और ईसाई मजहब को मानने वालों के लिए है। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आते हैं और इसे इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल के तौर पर जाना जाता है। ऐसे में इसकी पवित्रता से कोई छेड़छाड़ होना फिलिस्तीन के अरब लोगों और इस्लाम के दुनिया भर में फैले अनुयायियों को गवारा नहीं होती। लेकिन 9 मई, 2021 को इस मस्जिद में बड़ी संख्या में इजरायली पुलिस घुस आई थी और इससे तनाव भड़क गया था। इजरायल की पुलिस का कहना था कि मस्जिद में नमाजियों के बीच ही उपद्रवी भी छिपे हैं। लेकिन इस मामले ने तनाव को बढ़ा दिया। यही वजह है कि हमास ने इजरायल पर हमले के पीछे यही कारण बताया और हिंसा को ऑपरेशन अल अक्सा का नाम दिया।
यह घटना ठीक उस दौरान हुई थी, जब इजरायल 9 मई को एक रैली भी निकालता है। यह रैली हर साल निकाली जाती है, लेकिन यरूशलम के मुस्लिम बहुल इलाकों से नहीं गुजरती। 2021 में यह मुस्लिम बहुल इलाकों से भी गुजरी थी और दूसरी तरफ पुलिस अल अक्सा मस्जिद में चली गई। इन दोनों ही वजहों से तनाव भड़का तो मिसाइलें भी दागी गई थीं। 2021 में भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसमें गाजा पट्टी के सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और कुछ इजरायली भी मारे गए थे। 9 मई का इजरायल के इतिहास में इसलिए स्थान है क्योंकि इसी दिन जर्मनी की नाजी फोर्सेज ने दूसरे विश्व युद्ध की जंग में हार मान ली थी और सरेंडर किया था।
