नागरिक गुस्से में हैं। पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने माना कि सरकार की प्रतिष्ठा पर दाग लगा है और इसे यह एक मिली-जुली सरकार है और इस सरकार पर कई बड़े दाग लग चुके हैं। अगर रक्षा मंत्रालय को मिली सूचना को विभागों तक पहुंचाया जाता तो भी इस धमाके को रोका जा सकता था। पुलिस और कुछ दूसरी एजेंसियां सूचना के आधार पर काम कर सकती थी… अगइंर वह सब हुआ होता तो शायद मुझे नहीं भी पता होता तब भी यह रोका जा सकता था। इसलिए सवाल मुझ पर नहीं है, यह सवाल है कि सिस्टम ने ठीक तरह से काम नहीं किया।
यह मामला रक्षा मंत्रालय से जुड़ा हुआ है। प्रेजिडेंट ने इसे देखने के लिए कमिटी का गठन किया है, लेकिन उन्होंने सूचना पर कार्रवाई की होती और मुझे इसकी जानकारी होती तो क्या होता जैसे सवाल अब बेमानी हैं।
सवाल यह है कि सूचना के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई। चलिए एक बार के लिए मान लेते हैं कि मेरे पास सूचना होती और मैं मानकर चल रहा होता कि पुलिस ने ऐक्शन लिया है और असल में कुछ नहीं किया गया तो तब भी परिणाम यही होते। शीर्ष पर बैठे वो कौन लोग हैं जिन्होंने अपना काम नहीं किया? जहां तक कि मेरा सवाल है मैं शीर्ष पद पर हूं। मुझे सूचना दी जा सकती थी और मैं मानकर चल रहा होता कि सभी स्तर पर जरूरी उपाय किए जा रहे हैं, तब भी शायद परिणाम ऐसे ही होते। मेरी जानकारी में कुछ नहीं था यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है कि इसे रोकने के लिए कुछ कार्रवाई नहीं की गई।
ईसाई समुदाय का डर हम समझ रहे हैं। मैंने उनके साथ काफी वक्त बिताया है, 3 घंटे तक मैं ईसाई पादरी और अन्य लोगों के साथ रहा। मुस्लिमों को भी डर है कि कहीं प्रतिक्रिया में उन्हें चोट न पहुंचाया जाए। कुछ छोटी-मोटी घटनाएं हुईं हैं, लेकिन इन्हें धार्मिक संघर्ष का नाम नहीं दिया जा सकता।