Shani Jayanti Kab Hai : हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्म हुआ था। इस दिन को शनि जयंती के नाम से जाना जाता है। शनि जयंती के साथ ही इस दिन वट सावित्री व्रत पूजा भी की जाती है। इस पावन दिन शनि देव की पूजा- अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव कर्म फल दाता हैं। शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं।पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिन भगवान सूर्य के पुत्र हैं। शनि मनुष्य के कर्मों का फल देते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए इस दिन लोग शनि जयंती का व्रत भी करते हैं। आइए जानते हैं शनि जयंती डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…
शनि जयंती कब मनाई जाएगी?
- इस साल 6 जून, 2024 को शनि जयंती मनाई जाएगी।
मुहूर्त
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ – जून 05, 2024 को 07:54 पी एम बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त – जून 06, 2024 को 06:07 पी एम बजे
पूजा विधि-
- इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- शनिदेव के मंदिर जाएं।
- शनिदेव को तेल, पुष्प अर्पित करें।
- शनि चालीसा का पाठ करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- इस पावन दिन दान भी करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
इन मंत्रों का जप करें
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जप करें…
- “ऊं शं अभयहस्ताय नमः”
- “ऊं शं शनैश्चराय नमः”
- “ऊं नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम”
शनि जयंती कथा : सूर्य देव का विवाह राजा दक्ष की कन्या संज्ञा के साथ हुआ था। सूर्य देव के तीन संतान मनु, यमराज और यमुना थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार संज्ञा ने अपने पिता दक्ष से सूर्य के तेज उससे होने वाली दिक्कत के बारे में बताया। लेकिन राजा दक्ष ने अपनी पुत्री के बात पर ध्यान नहीं दिया और उन्होंने कहा कि तुम सूर्य देवता की अर्धांगिनी हो। पिता के ऐसा कहने पर संज्ञा ने अपने तपोबल से अपनी छाया को प्रकट किया। संज्ञा की छाया का नाम संवर्णा रखा गया।
आगे चलकर सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव को जन्म हुआ। भगवान शनि देवता का वर्ण बेहद श्याम था। लेकिन जब सूर्य देवता को इस बात का पता चला कि संवर्णा उनकी अर्धांगिनी नहीं है, तो सूर्य देवता ने शनिदेव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इससे शनि देव कुपित हो गए और उनकी दृष्टि सूर्य देव पर पड़ी, जिसकी वजह से सूर्य देव काले पड़ गए और संसार में अंधकार छाने लगा। परेशान होकर सूर्य देवता भगवान शिव के शरण में गए। तब शिव जी ने उन्हें छाया (संवर्णा) से क्षमा मांगने को कहा। भगवान शंकर के ऐसा कहने पर भगवान सूर्य ने छाया से क्षमा मांगी और शनि के क्रो से मुक्त हुए।
