भारत की जी 20 अध्यक्षता में नए बहुपक्षवाद की शुरुआत : मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जी 20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने बहुपक्षवाद में नयी जान फूंकी, ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद की, विकास की हिमायत की, और हर जगह महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लड़ाई लड़ी।
श्री मोदी ने भारत की जी 20 अध्यक्षता के कार्यकाल के अंतिम दिन एक लेख में उम्मीद जताई कि इन इन क्षेत्रों में आगे भी तेजी से काम किया जायेगा।
श्री मोदी ने कहा , “ अब जबकि हम जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंप रहे हैं, तो हम इस विश्वास के साथ ऐसा कर रहे हैं कि समस्‍त लोगों, धरती, शांति और समृद्धि के लिए हमारे सामूहिक कदमों की गूंज आने वाले वर्षों में निरंतर सुनाई देती रहेगी।“
प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने भू राजनीतिक मुद्दों और आर्थिक प्रगति एवं विकास पर उनके प्रभावों पर व्‍यापक विचार-विमर्श की अगुवाई की। भारत का स्पष्ट मत है कि आतंकवाद और नागरिकों की हत्या पूरी तरह से अस्वीकार्य है, और हमें जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाकर इससे निपटना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें शत्रुता से परे जाकर मानवतावाद को अपनाना होगा और यह दोहराना होगा कि यह युद्ध का युग नहीं है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के 365 दिन पूरे हो गए हैं। यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को प्रतिबिंबित करने, इसके लिए पुनः प्रतिबद्ध होने और इसे जीवंत बनाने का क्षण है।
उन्होंने कहा कि जब पिछले वर्ष भारत को यह जिम्मेदारी मिली थी, तब विश्व विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा था । इसके अलावा, कमजोर होता बहुपक्षवाद इन चुनौतियों को और गंभीर बना रहा था। बढ़ते हुए संघर्ष और प्रतिस्पर्धा के बीच, विभिन्न देशों में परस्पर सहयोग की भावना में कमी आई और इसका प्रभाव वैश्विक प्रगति पर पड़ा।
जी-20 का अध्यक्ष बनने के बाद, भारत ने दुनिया के सामने जीडीपी-केंद्रित सोच से आगे बढ़कर मानव-केंद्रित प्रगति का विजन प्रस्तुत किया। भारत ने दुनिया को यह याद दिलाने प्रयास किया कि कौन सी चीजें हमें जोड़ती हैं। हमारा फोकस इस बात पर नहीं था कि कौन सी चीजें हमें विभाजित करती हैं। अंततः, भारत के इन प्रयासों का परिणाम आया, वैश्विक संवाद आगे बढ़ा और कुछ देशों के सीमित हितों के ऊपर कई देशों की आकांक्षाओं को महत्व दिया गया। इसके लिए बहुपक्षवाद में मूलभूत सुधार की आवश्यकता थी।

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