कुत्ते के काटने से बच्चे की जान जाने के बाद लोग दहशत में हैं। सड़क चलते हर किसी का पाला कुत्तों से पड़ता है। कई घरों में भी पेट्स रखे जाते हैं। इन्हें हर जगह से हटवाना संभव नहीं है लेकिन सतर्कता बरती जा सकती है। इस घटना में बच्चे ने अपने पेरेंट्स को नहीं बताया था कि कुत्ते ने काटा है। 14 साल के बच्चे को रैबीज हुआ और मौत हो गई। अगर आप चाहते हैं कि इस तरह की अनहोनी आपके किसी करीबी के साथ न हो तो यहां बताई कुछ सावधानियां बरत सकते हैं।
न निकले खून फिर भी है खतरा
कुत्ते के काटने से रेबीज हो जाता है, यह हममें से ज्यादातर लोग जानते हैं। हालांकि कई लोग इसके खतरे से वाकिफ नहीं होते। कई बार लोगों को लगता है कि कुत्ता काटने के बाद खून नहीं निकला तो ज्यादा खतरा नहीं है। ध्यान रखें कि कुत्ते, बिल्ली या बंदर से हल्की सी भी खरोंच आ जाए तो 24 घंटे के अंदर रेबीज की पहली डोज ले लेनी चाहिए, भले खून न निकला हो। याद रखें रेबीज वैक्सीन लेने में कोई दिक्कत नहीं लेकिन लापरवाही करने पर जान जा सकती है।
वैद्य नहीं डॉक्टर को दिखाएं
जानवरों के काटने पर झाड़-फूंक के चक्कर ने कतई न पड़ें। अगर आपको इन पर भरोसा है तो वैक्सीन ले लें इसके बाद झाड़-फूंक भी करवा लें। कोई कितना भी भरोसा दिलाए कि उसका जख्म ठीक हो गया लेकिन यकीन न करें। हर इंसान पर जानवरों के काटने का अलग असर होता है।
बच्चे को दें ट्रेनिंग
बच्चे खेलते वक्त चोट खाकर आते हैं और अक्सर डर की वजह से मां-बाप को नहीं बताते, ऐसा ही गाजियाबाद वाले केस में हुआ। उन्हें जानवरों से दूर रहने की ट्रेनिंग दें और सचेत करें कि कभी ऐसा हो तो घर पर सबसे पहले बताएं।
दें ये फर्स्ट एड
बच्चे को जानवर काट ले तो फर्स्ट एड के तौर पर पानी और साबुन से 15 मिनट तक धोएं। इसके बाद इस पर पट्टी करवा लें। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर रेबीज की वैक्सीन लेना न भूलें, भले ही कुत्ते का मालिक कहे कि पेट को इंजेक्शन लगा है।