What Is Hip Arthritis: आपने आज तक गठिया रोगी को हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत करते हुए सुना होगा लेकिन क्या आप कूल्हे के गठिया के बारे में भी कुछ जानते हैं? जी हां कूल्हे के गठिया को अंग्रेजी में हिप अर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है। यह रोग भी गठिया की ही तरह जोड़ों की सूजन और दर्द से जुड़ा रोग है। जो आमतौर पर विटामिन सी, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी की वजह से होता है। ज्यादातर लोग बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की कमजोरी और चलने-फिरने में दिक्कत की शिकायत करने लगते हैं। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को शुरुआत में कूल्हे में हल्का दर्द महसूस होता है। जिसका समय रहते इलाज न करवाने पर यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है।
हिप अर्थराइटिस के कारण-
-मोटापा
-उम्र का अधिक होना
-जोड़ों में चोट
-मांसपेशियों में कमजोरी
-खेल या ऐसी कोई गतिविधि जो जोड़ों पर लगातार दबाव डालती हैं।
-खराब बायोमैकेनिक्स
-आनुवंशिक स्थितियां
– यूरिक एसिड का बढ़ना
कितनी तरह का होता है हिप आर्थराइटिस ?-
आमतौर पर पांच प्रमुख प्रकार का गठिया कूल्हे के जोड़ को प्रभावित कर सकते हैं। जैसे कि-
ऑस्टियोआर्थराइटिस: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियों के अंत में मौजूद लचीला ऊतक नष्ट हो जाता है।
रुमेटीइड गठिया: यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है जो पूरे शरीर में जोड़ों को प्रभावित करती है।
एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी में मौजूद छोटी हड्डियां समय के साथ जुड़ जाती हैं।
सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस: यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के ऊतकों पर हमला करती है। यह 15-35 वर्ष की आयु की महिलाओं में सबसे आम है।
सोरियाटिक गठिया: यह एक ऐसी स्थिति है जो सोरायसिस से पीड़ित लोगों को प्रभावित करती है।
हिप अर्थराइटिस के लक्षण –
लगातार कूल्हे में दर्द-
यह दर्द आम तौर पर हिलने-डुलने, जैसे चलने, खड़े होने या सीढ़ियां चढ़ने पर बढ़ जाता है। समय के साथ ये दर्द बढ़कर कमर, जांघ या नितंबों (मलाशय का बाहरी भाग) तक भी फैल सकता है।
हिलने में परेशानी-
गठिया रोग बढ़ने पर कूल्हे के जोड़ में कठोरता बढ़ सकती है। ऐसे में बुजुर्गों को रोजमर्रा के काम करने में परेशानी हो सकती है।
चलने पर कट-कट की आवाज-
हिप अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति को चलने पर कट-कट की आवाज के साथ झनझनाहट महसूस हो सकती है। ऐसा हिप के जोड़ो का कार्टिलेज कम होने के कारण होता है।
हिप अर्थराइटिस का इलाज-
दवा-
हिप अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति के दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर दवाओं के साथ लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव की भी सलाह देते हैं।
इंजेक्शन-
जोड़ों में दर्द और सूजन ज्यादा बढ़ने पर डॉक्टर पीड़ित को इंजेक्शन भी दे सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर स्टेरॉइड जैसे कुछ विक्लपों को चुनते हैं।
एक्सरसाइज-
व्यक्ति के कूल्हे की मूवमेंट बढ़ाने के लिए डॉक्टर कई बार एक्सरसाइज की भी सलाह देते हैं। ऐसा करने से हिप का मूवमेंट बने रहने के साथ जोड़ों में भी आराम मिलने लगता है।
डाइट में बदलाव-
हिप अर्थराइटिस होने पर डॉक्टर साबुत अनाज, सब्जियां, फल और प्रोटीन से भरपूर आहार लेने की सलाह देते हैं।
