चंद्रयान-2 में 3 मॉड्यूल आर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) होंगे। जीएसएलवी मार्क-3 चंद्रयान 2 आर्बिटर और लैंडर को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा, जिसके बाद उसे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाया जाएगा। मून की कक्षा में चंद्रयान-2 के पहुंचने के बाद लैंडर निकलकर चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर उससे निकलेगा और चहलकदमी करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा। इसरो को उम्मीद है कि भारत का चंद्रयान 6 सितंबर को चांद पर उतरेगा।
सूत्रों के मुताबिक बताया गया कि चंद्रयान-2 के कुछ टेस्ट पूरे न हो पाने के कारण इसको लॉन्च नहीं किया जा सका था। भारत के पहले चंद्रयान के साथ रोवर और लैंडर नहीं थे। इस बार रोवर और लैंडर को भी मिशन का हिस्सा बनाया गया है। इसरो ने चंद्रयान-2 को पहले 2017 में और फिर 2018 में लॉन्च करने की घोषणा की थी। लेकिन यह किन्हीं कारणों से ये संभव नहीं हो पाया था। इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने बताया कि इसरो अब इसे जल्द ही लॉन्च करने की हर संभव प्रयास किया जा रहा है !
इसरो के जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-2 का वजन 3290 किलो होगा। चांद की आर्बिट में प्रवेश करने के बाद इसका ऑर्बिटर, लैंडर से अलग हो जाएगा। इसके बाद लैंडर मून के धरातल पर उतरेगा और फिर रोवर उससे अलग होगा।
इसरो के मुताबिक लैंडर को चंद्रमा के साउथ पोल में उतारा जाएगा। इसके लिए दो स्थान का चयन किया गया है। इनमें से किसी भी जगह पर और किसी देश का लैंडर नहीं उतरा है। इसरो के अनुसार, साउथ पोल की जमीन नरम है और रोवर को मूव करने में यहां किसी तरह की समस्या नहीं होगी। रोवर में छह पहिए हैं और इसका वजन 20 किलो है। रोवर के लिए पावर की कोई दिक्कत न हो, इसके लिए इसमें सोलर पावर उपकरण भी लगाए गए हैं। इससे पहले 2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया था, लेकिन ईंधन की कमी के कारण यह मिशन 29 अगस्त 2009 को ही खत्म हो गया था।