विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है, और इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना, लोगों को शिक्षित करना और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होना है. कैंसर के उपचार पर दशकों से अरबों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक इसकी कोई सटीक दवा नहीं बन पाई है. 1970 के दशक में कैंसर से पीड़ित केवल 25% मरीज ही 10 साल या उससे अधिक जीवित रह पाते थे, जबकि आज यह आंकड़ा 50% हो चुका है. हालांकि, कैंसर एक जटिल बीमारी है और इसका कोई एकमात्र इलाज संभव नहीं है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक कैंसर के नए मामलों की संख्या 3.5 करोड़ से अधिक हो जाएगी. आंकड़े बताते हैं कि हर पांच में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होता है, और नौ में से एक पुरुष तथा 12 में से एक महिला की इससे मृत्यु हो जाती है.
भारत में भी कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, देश में हर साल 13 लाख से अधिक नए कैंसर के मामले सामने आते हैं, और अगले दशक में इनकी संख्या और बढ़ने की आशंका है. राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर के 14,96,972 मामले सामने आए. फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में सबसे आम है, जिसके 30 लाख नए मामले सामने आए, जो कुल मामलों का 12.5% हैं.
AI करेगा इलाज में मदद (World Cancer Day)
AI कैंसर उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जिससे मरीजों को बेहतर और अधिक सटीक इलाज मिल सकता है. अब कैंसर का इलाज केवल कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी तक सीमित नहीं है. हाल के वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कैंसर उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, AI नई दवाओं के विकास, उपचार के पूर्वानुमान और मरीजों के लिए व्यक्तिगत चिकित्सा योजनाएं बनाने में मदद कर रहा है. हालांकि, मरीजों की डेटा गोपनीयता और सुरक्षा को लेकर कुछ चिंताएं बनी हुई हैं.
सर्जरी और कीमोथेरेपी में AI का योगदान (World Cancer Day)
AI की मदद से कंप्यूटर-असिस्टेड या रोबोट-असिस्टेड सर्जरी मरीजों के लिए अधिक सुरक्षित और आरामदायक हो रही है. कीमोथेरेपी में AI का उपयोग बड़े डेटासेट का विश्लेषण करके आनुवंशिक स्तर पर उपचार योजनाएं तैयार करने में किया जा रहा है, जिससे अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत उपचार संभव हो पा रहा है.