लोकतांत्रिक संस्थाओं में कार्यकुशलता को बढ़ाना होगा : ओम बिरला

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पटना. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधानमंडलों के तकनीकी उन्नयन पर जोर देते हुए आज कहा कि बदलती टेक्नोलॉजी के इस युग में अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं में कार्यकुशलता को बढ़ाना होगा।
श्री बिरला ने मंगलवार को यहां 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “बदलती टेक्नोलॉजी के इस युग में हमें अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं में कार्यकुशलता को बढ़ाना होगा। मुझे खुशी है कि भारत की संसद दुनिया के सभी संसदों से टेक्नोलॉजी में आगे है। हम 22 आधिकारिक भाषाओं में से 10 में भाषांतरण कर रहे हैं। शीघ्र ही हम सभी 22 भाषाओं में यह सुविधा सदस्यों को उपलब्ध करायेंगे।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद के अंदर सभी प्रकार के संसदीय कागजातों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से 10 क्षेत्रीय भाषाओं में सदस्यों को दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भारत ही एक मात्र ऐसा लोकतंत्र है जिसमें सारी बहसों और चर्चाओं को एआई के माध्यम से फ्लोर लैंग्वेज के अलावा अधिकतम भाषाओं में अनुवाद की ओर बढ़ रहे हैं।
श्री बिरला ने कहा कि लोकसभा की कुशलता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए मेटा डेटा एवं अन्य उभरती प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “संसद में हमने एआई के माध्यम से संसद भाषिणी के टूल्स बनाये हैं। हम उनको राज्यों के साथ भी साझा करेंगे ताकि राज्यों की विधानसभाओं में भी इनका उपयोग हो। चर्चाओं का डिजिटलीकरण होने से सदस्यों की कार्यक्षमता, कुशलता और उत्पादकता बढ़ेगी।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा के सदस्य पुरानी चर्चाओं का उपयोग करके सदनों में और अच्छा संवाद करेंगे। उन्होंने कहा, “आज हम पटना की इस ऐतिहासिक धरती पर यह सामूहिक संकल्प ले रहे हैं कि हम अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं की कुशलता और दक्षता को बढ़ायेंगे, सदस्यों की कार्य क्षमता को बढ़ायेंगे ताकि हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं जनता के प्रति और जवाबदेह हो तथा उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर विकसित भारत के निर्माण का माध्यम बनेगी।
श्री बिरला ने कहा कि पाटलिपुत्र शाश्वत भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का उद्गम स्थल, गौरवशाली इतिहास परंपरा एवं संस्कृति, ज्ञान, शिक्षा, सभ्यता और लोकतंत्र की जन्म एवं कर्मभूमि है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि यह पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन निर्णायक होगा, यहां जो संकल्प लिये गये हैं उनसे हम हमारे देश की विधायी संस्थाओं को जनता के प्रति और जवाबदेह बनायेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम विधान मंडलों में पारदर्शिता लायेंगे, बदलते परिप्रेक्ष्य में विधानमंडलों में नवाचार, नये नियम बनाना और जो वर्तमान समय की चुनौतियां हैं, उन चुनौतियों के समाधान का रास्ता पटना की धरती से निकलेगा। उन्होंने कहा कि पटना के इस सम्मेलन की उपलब्धि रही कि सदस्यों ने विधानसभाओं में किए गए नवाचारों की जानकारी और अनुभव साझा किए जिससे सभी को उन नवाचारों को अपने अपने सदनों में लागू करने की प्रेरणा मिली है।
श्री बिरला ने कहा, “हमारे सदन जहां कानून बनाये जाते हैं, नीतियां बनायी जाती हैं, योजनाएं बनायी जाती हैं, लोगों की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं को पूरा करने के विषय में चर्चा होती है, लोगों की कठिनाइयों, अभावों पर चर्चा होती है, हमारा प्रयास होना चाहिए कि यह सार्थक चर्चा और संवाद का केन्द्र बने। हमने संकल्प लिया है कि संविधान की भावनाओं के अनुरूप लोकतांत्रिक संस्थाओं के कार्यकरण में और कुशलता आये। उनकी दक्षता, कार्य-कुशलता और उत्पादकता में निरंतर वृद्धि हो।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदनों में गतिरोध नहीं हो, वैचारिक सहमति असहमति के बावजूद कानूनों पर व्यापक चर्चा हो, कार्यपालिका की नीतियों की समीक्षा हो ताकि हम शासन की और अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता को सुनिश्चित कर सके। ये हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
श्री बिरला ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, बिहार विधान सभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, समस्त पीठासीन अधिकारी, इस सम्मेलन में शामिल होने वाले एवं सम्मेलन के आयोजन से जुड़े सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए श्री नन्द किशोर यादव, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह एवं विधानसभा के पदाधिकारी और कर्मचारियों को धन्यवाद दिया।

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