विभाजन के दर्द की तस्वीरें: वो तारीख जब भारत-पाकिस्तान नहीं, रिश्तों और भावनाओं का बंटवारा हुआ

मुख्य समाचार राष्ट्रीय
14 अगस्‍त, 1947, इतिहास की वो तारीख जिसने देशवासियों को ऐसा दर्द दिया, जिसे वो ताउम्र नहीं भूल पाए. यह वो दिन था जब भारत दो टुकड़ों में बंट गया. भारत और पाकिस्‍तान. 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त, 1947 को भारत को अलग राष्‍ट्र घोष‍ित किया गया. बंटवारे के वक्‍त लोगों के चेहरे पर मासूसी थी. यह बंटवारा सिर्फ देश का नहीं, बल्कि दिल, रिश्‍तों और भावनाओं का था. तस्‍वीरों में देखें विभाजन का दर्द…

कहने को यह सिर्फ दो मुल्‍कों का अलग होना था, लेकिन उस दौर में बहुत कुछ बदल रहा था. देश के भूगोल, समाज और संस्‍कृति कई हिस्‍सों में बंट गई. यही वजह है कि पाकिस्‍तान 14 अगस्‍त को ही अपना स्‍वतंत्रता दिवस मनाता है. भारत और भारतवासियों के लिए यह सबसे मुश्किल दौर रहा. जब लोगों को अपना मुल्‍क, सम्‍पत्‍त‍ि और अपनों को छोड़कर रातों-रात जाना पड़ा.

कहने को यह सिर्फ दो मुल्‍कों का अलग होना था, लेकिन उस दौर में बहुत कुछ बदल रहा था. देश के भूगोल, समाज और संस्‍कृति कई हिस्‍सों में बंट गई. यही वजह है कि पाकिस्‍तान 14 अगस्‍त को ही अपना स्‍वतंत्रता दिवस मनाता है. भारत और भारतवासियों के लिए यह सबसे मुश्किल दौर रहा. जब लोगों को अपना मुल्‍क, सम्‍पत्‍त‍ि और अपनों को छोड़कर रातों-रात जाना पड़ा.

आजादी से पहले ही देश के मुसलमान अपने लिए अलग देश की मांग कर रहे थे. इनकी मांग का नेतृत्‍व मुस्लिम लीग के मोहम्‍मद अली जिन्‍ना कर रहे थे. जिन्‍ना की जिद देश में ऐसी लकीर खींच गई जो खाईं में तब्‍दील हो गई. ऐसी खाईं जो आज भी नहीं भर पाई है. उस वक्‍त देश की आबादी 40 करोड़ थी. इनमें से करीब एक चौथाई मुस्लिम थे.

आजादी से पहले ही देश के मुसलमान अपने लिए अलग देश की मांग कर रहे थे. इनकी मांग का नेतृत्‍व मुस्लिम लीग के मोहम्‍मद अली जिन्‍ना कर रहे थे. जिन्‍ना की जिद देश में ऐसी लकीर खींच गई जो खाईं में तब्‍दील हो गई. ऐसी खाईं जो आज भी नहीं भर पाई है. उस वक्‍त देश की आबादी 40 करोड़ थी. इनमें से करीब एक चौथाई मुस्लिम थे.

बंटवारा इतना भी आसान नहीं था. इस दौरान दंगे हुए जिनमें लाखों लोग मारे गए. देश ने ऐसा दौर भी देखा जब एक आजादी की जंग शुरू करने वाले एक-दूसरे के दुश्‍मन बन गए. पुरुषों की लड़ाई में सबसे ज्‍यादा दर्द महिलाओं ने झेला. दंगों में उनके साथ बुरा व्‍यवहार किया गया और बदसलूकी की गई. न्‍यूज एजेंसी हिन्‍दुस्‍थान की एक रिपोर्ट में दिल्‍ली की सरला दत्‍त में अपनी आपबीती बताई.

बंटवारा इतना भी आसान नहीं था. इस दौरान दंगे हुए जिनमें लाखों लोग मारे गए. देश ने ऐसा दौर भी देखा जब एक आजादी की जंग शुरू करने वाले एक-दूसरे के दुश्‍मन बन गए. पुरुषों की लड़ाई में सबसे ज्‍यादा दर्द महिलाओं ने झेला. दंगों में उनके साथ बुरा व्‍यवहार किया गया और बदसलूकी की गई. न्‍यूज एजेंसी हिन्‍दुस्‍थान की एक रिपोर्ट में दिल्‍ली की सरला दत्‍त में अपनी आपबीती बताई.

सरला कहती हैं, उस वक्‍त वो मात्र 15 साल की थीं. पिता जम्‍मू के रेडियो स्‍टेशन में काम बतौर संगीतकार काम कर रहे थे. बंटवारे के दौरान जो दंगे हुए उसमें एक पाकिस्‍तान सैनिक ने उन्‍हें अगवा कर लिया. जबरन उनकी शादी एक मुस्लिम सैनिक से करा दी गई. उन्‍हें कुरान पढ़ने को कहा गया. इतना ही रहीं, पाकिस्‍तान में भी हालात बुरे थे. वहां हिन्‍दुओं और सिखों के मोहल्‍लों पर मुसलमानों ने कब्‍जा कर लिया और महिलाओं के साथ ज्‍यादती की गई.

सरला कहती हैं, उस वक्‍त वो मात्र 15 साल की थीं. पिता जम्‍मू के रेडियो स्‍टेशन में काम बतौर संगीतकार काम कर रहे थे. बंटवारे के दौरान जो दंगे हुए उसमें एक पाकिस्‍तान सैनिक ने उन्‍हें अगवा कर लिया. जबरन उनकी शादी एक मुस्लिम सैनिक से करा दी गई. उन्‍हें कुरान पढ़ने को कहा गया. इतना ही रहीं, पाकिस्‍तान में भी हालात बुरे थे. वहां हिन्‍दुओं और सिखों के मोहल्‍लों पर मुसलमानों ने कब्‍जा कर लिया और महिलाओं के साथ ज्‍यादती की गई.

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