सीमाओं के निकट के गावों को जीवंत, बनाने के कार्यक्रम की समीक्षा की शाह ने

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सीमाओं पर बसे गावों को विकसित और जीवंत बनाने के कार्यक्रम- “वायब्रैंट विलेजेज प्रोग्राम” की प्रगति की शनिवार को यहां एक उच्चस्तरीय बैठक में समीक्षा की और इन गावों में रोजी रोजगार के अवसर ज्यादा से ज्यादा बढ़ा कर ऐसे गावों से पलायन रोकने की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार देश के सीमांत गांवों के चहुँमुखी विकास के प्रति कटिबद्ध है। श्री शाह ने कहा कि यह कार्यक्रम सीमांत गांवों से पलायन रोकने के लिए स्थानीय निवासियों के लिए रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने और गावों के साथ संपर्क बढ़ाने की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर चलाया जा रहा है। बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव, सचिव, सीमा प्रबंधन और महानिदेशक, भारत तिब्बत सीमा पुलिस सहित गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मोदी सरकार ने “वायब्रैंट विलेजेज प्रोग्राम” पिछले वर्ष 14 फरवरी को 4800 करोड़ रूपए के आवंटन के साथ इस महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की थी।इसके तहत 136 सीमांत गांवों को 2420 करोड़ रुपये की लागत से 113 बाहरमासी सुगम सड़क परियोजनाओं के माध्यम से संपर्क प्रदान किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों को इस वर्ष के अंत तक 4 जी नेटवर्क से कवर कर लिया जाएगा। इन सभी गांवों में वित्तीय समावेशन के कदम उठाए गए हैं और भारत पोस्ट-पेमेंट बैंकों(आईपीपीबी) की सुविधा भी दी जा रही हैं ।
गृह मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्री शाह ने कहा कि सीमांत गांवों के आस-पास तैनात केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और सेना को सहकारिता के माध्यम से स्थानीय कृषि और हस्तशिल्प उत्पादों की खरीद को बढ़ावा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सेना और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के स्वास्थ्य केन्द्रों और उनकी सुविधाओं का लाभ नज़दीकी गांवों के निवासियों को नियमित रूप से मिलना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि इन गांवों में सौर ऊर्जा और पवनचक्की जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोतों केअधिकतम उपयोग पर ज़ोर देने की आवश्यकता है।

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