लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने अब तक 405 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। इस तरह करीब 90 फीसदी सीटों पर पार्टी ने कैंडिडेट उतार दिए हैं और इनमें से करीब 100 सांसद अब तक ऐसे हैं, जिनका पत्ता साफ हो चुका है। इससे पहले 2019 में भी भाजपा की यही रणनीति थी और 99 सांसदों को दोबारा मौका नहीं मिला था। इस बार यह संख्या थोड़ी और अधिक हो सकती है। अब तक वरुण गांधी, अनंत कुमार हेगड़े, वीके सिंह, मीनाक्षी लेखी, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सदानंद गौड़ा, रमेश बिधूड़ी, गौतम गंभीर, हर्षवर्धन समेत कई नामी लोगों के भी टिकट कट चुके हैं।
यही नहीं अब चर्चा है कि इलाहाबाद से रीता बहुगुणा जोशी को मौका नहीं मिलेगा। इसके अलावा कैसरगंज लोकसभा सीट से बृजभूषण शरण सिंह को हटाया जा सकता है। माना जा रहा है कि भाजपा की यह त्रिसूत्रीय रणनीति है, जिसके तहत कैंडिडेट नहीं बल्कि पीएम मोदी, उनकी स्कीमों और भाजपा के चुनाव चिह्न कमल पर फोकस करना है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों भाजपा के कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि हमारा उम्मीदवार सिर्फ कमल है। सभी कार्यकर्ताओं को मिलकर कमल को जिताने के लिए काम करना है। इससे साफ हो गया था कि भाजपा नेतृत्व इस बार किसी को भी बदल सकता है और किसी को भी उतारा जा सकता है।
इसी रणनीति के तहत भाजपा ने एक तरफ बंगाल में संदेशखाली की पीड़िता को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं यूपी के मेरठ से अरुण गोविल और हिमाचल की मंडी से कंगना रनौत कैंडिडेट बनी हैं। यही नहीं कभी मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान विदिशा से कैंडिडेट बने हैं और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर करनाल सीट से उम्मीदवार बने हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ऐंटी-इनकम्बैंसी से बचने के लिए उम्मीदवार बदले जा रहे हैं। इसके अलावा कैंपेन का पूरा फोकस पीएम नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार की बनी योजनाओं और कमल सिंबल पर है।