रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विधायक शिवरतन शर्मा ने जीवीके ईएमआरआई द्वारा आगामी 31 जुलाई से प्रदेशभर में संचालित महतारी 102 एक्सप्रेस का संचालन बंद करने की दी गई नोटिस को प्रदेश सरकार की नीयत व नीति में खोट का परिणाम बताया है। श्री शर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की इस महती योजना के क्रियान्वयन के प्रति प्रदेश सरकार की बदनीयती के चलते एक तो गर्भवती आसन्न प्रसवा व प्रसूता महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए उपलब्ध सुविधा भी ख़तरे में पड़ जाएगी वहीं इस महतारी एक्सप्रेस के संचालन से जुड़े कर्मचारियों के सामने रोज़गार का संकट मुँह बाए खड़ा हो जाएगा।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि यह प्रदेश सरकार की नाकामी का एक और शर्मनाक उदाहरण है कि महतारी एक्सप्रेस की सेवाओं का टेंडर समाप्त होने के बावज़ूद प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किए हैं, फलस्वरूप इन सेवाओं का संचालन पुरानी दर के आधार पर ही एक्स्टेंशन पीरियड में किया गया जिसके चलते इस सेवा का संचालन कर रही कंपनी ने घाटा होने की बात कही है। श्री शर्मा ने कहा कि राज्य शासन ने अपने कार्यकाल में जीवीके कंपनी को करोड़ों रुपए का भुगतान ही नहीं किया है। प्रदेश के 27 ज़िलों में 370 महतारी एक्सप्रेस एंबुलेंस का संचालन हो रहा है और 89,781 रुपए प्रति एंबुलेंस/प्रति माह के हिसाब से भुगतान रुका पड़ा है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस सेवा के लिए दो बार टेंडर निकालकर इस प्रक्रिया को संदेह के दायरे में ला दिया है। किसी टेंडर को दो बार रद्द करने के सरकार के फैसले पर तंज कसते हुए श्री शर्मा ने जानना चाहा कि सरकार आख़िर किस चहेती कंपनी के टेंडर का इंतज़ार कर रही है जिसे वह इस सेवा के संचालन का ज़िम्मा देना चाह रही है? क़ायदे से टेंडर की मियाद बाकी रहते टेंडर की तारीख तो आगे बढ़ाई जा सकती है, लेकिन टेंडर की निर्धारित तिथि के निकलने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा टेंडर को रद्द करना सरकार की बदनीयती और किसी बड़ी गड़बड़ी का इशारा कर रही है। श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश के लोगों को अधिकतम स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराने के बजाय यह सरकार उपलब्ध सुविधाओं का ही सही ढंग से संचालन नहीं करके लोगों की सुविधाएँ छीनने पर उतारू नज़र आ रही है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि कोरोना संकट के चलते आरटीपीसीआर और आरएनए एक्स्टैशन किट से लेकर दूसरे संसाधनों की खरीदी में भी विवाद गहराने की बात सामने आ रही है। सीजीएमएससी ने टेंडर खुलने के बाद सबसे कम कीमत की ज़गह सबसे अधिक कीमत वाली कंपनी को काम देकर प्रदेस सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करने का काम किया है। श्री शर्मा ने तंज कसा कि यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संभवत: पहली निसाल होगी कि सबसे कम कीमत पर आपूर्ति करने वाली कंपनी के बजाय सबसे अधिक कीमत पर आपूर्ति करने वाली कंपनी को काम दिया गया है। टेंडर-टेंडर खेलकर राज्य सरकार प्रदेश के खजाने को लुटाने में ज़रा भी शर्म महसूस नहीं कर रही है।