विश्व बैंक और भारत सरकार ने 750 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए

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विश्व बैंक और भारत सरकार ने आज ‘एमएसएमई आपातकालीन उपाय कार्यक्रम’ के लिए 750 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य कोविड-19 संकट से बुरी तरह प्रभावित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को वित्त का प्रवाह बढ़ाने में आवश्‍यक सहयोग प्रदान करना है।
विश्व बैंक का ‘एमएसएमई आपातकालीन उपाय कार्यक्रम’ तकरीबन 1.5 मिलियन लाभप्रद एमएसएमई की नकदी और ऋण संबंधी तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करेगा जिससे उन्‍हें मौजूदा सदमे के प्रभावों को झेलने के साथ-साथ लाखों नौकरियों की रक्षा करने में भी मदद मिलेगी। यह एमएसएमई सेक्‍टर को समय के साथ आगे बढ़ाने के लिए आवश्‍यक सुधारों के बीच पहला कदम है।
इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग में अपर सचिव श्री समीर कुमार खरे और विश्व बैंक की ओर से कंट्री डायरेक्टर (भारत) श्री जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किए।
श्री खरे ने कहा कि कोविड-19 महामारी से एमएसएमई सेक्‍टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है जिससे आजीविका और रोजगार दोनों ही मोर्चों पर व्‍यापक नुकसान उठाना पड़ा है। भारत सरकार यह सुनिश्चित करने पर फोकस कर रही है कि वित्तीय सेक्‍टर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तरलता का प्रवाह एनबीएफसी की ओर हो और जोखिम मोल लेने से कतरा रहे बैंक एनबीएफसी को ऋण देकर अर्थव्यवस्था में निरंतर धनराशि डालते रहें। यह परियोजना लक्षित गारंटी प्रदान करने में सरकार को आवश्‍यक सहयोग देगी, जिससे लाभप्रद एमएसएमई को उधार देने के लिए एनबीएफसी और बैंकों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इससे लाभप्रद एमएसएमई को मौजूदा संकट का डटकर सामना करने में मदद मिलेगी।

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