आयोग के समझाईश पर पति-पत्नि आपसी कलह को छोड़कर एक हुए, अवैधानिक रिश्ते को बलपूर्वक वैधानिक स्वरूप नहीं दिया जा सकता

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केवल दहेज प्रताड़ना की शिकायत से सभी समस्याओं का समाधान नही होता है।

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण डॉ. अर्चना उपाध्याय, श्रीमती एवं श्रीमती बालो बघेल ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 233 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 109 वीं जनसुनवाई हुई।

आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में महिला ने प्रकरण दर्ज कराया है। जिसमें महिला के पति व अनावेदिका स्कूल व कॉलेज में सहपाठी थे। आवेदिका व उसके पति का विवाह 2005 में हो चुका है। अनावेदिका आवेदिका के पति से दोस्त के हैसियत से मिली थी। 17 साल बाद आवेदिका को धमकाने लगी और आवेदिका के पति से तलाक दिलाकर खुद शादी करने के लिए परेशान करने लगी। अनावेदिका से पूछा गया वह कहती है कि उसने आवेदिका के पति से विवाह किया है किंतु कोई प्रमाणित दस्तावेज नहीं है। आवेदिका का पति व अनावेदिका दोनों वयस्क है और सहमति से अवैध संबंध में रह रहे थे। जिसे वैधानिक रूप नहीं दिया जा सकता है। दोनो पक्षों की काउंसलिंग हुई लेकिन अनावेदिका 44 वर्ष आवेदिका के पति के साथ रहने के लिए दबाव डाल रही है। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। आयोग ने कहा कि यदि अनावेदिका के पास रहने के लिए जगह नहीं है तो उसकी व्यवस्था नारी निकेतन में आयोग द्वारा करायी जा सकती है। आवेदिका को कहा गया कि वे अनावेदिका के खिलाफ थाने में एफ.आई.आर. करा सकती है व अनावेदिका को समझाइश दिया गया कि वे आवेदिका व उसके पति से भविष्य में कोई संबंध ना रखे यदि यह किसी भी तरह आवेदिका व उसके पति से संबंध रखती है तो आवेदिका अनावेदिका के विरूध्द तत्काल एफ.आई.आर. दर्ज करा सकेगी। आवेदिका को ऑर्डरशीट की प्रमाणित प्रतिलिपि निशुल्क प्रदान की गई ताकि वह अनावेदिका के खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही कर सके। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपनी बहू के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी । दोनों पक्षों को सुना गया अनावेदिका ने दस्तावेज प्रस्तुत किया आवेदिका उसके पति व बेटे तीनों के खिलाफ थाना खमतराई में एफ.आई.आर. दर्ज हो चुका है। आयोग द्वारा समझाईश दिया गया कि सारे प्रकरणों से लगातार जूझते रहने से समस्या का स्थायी समाधान नही होगा, दोनो पक्ष यदि चाहे तो दोनो पक्ष आयोग कीमदद से विस्तृत सुलहनामा बनाकर आपसी रजामंदी से तलाक की प्रकिया कर सकते है। दोनो पक्षों ने समय की मांगा है। प्रकरण आगामी सुनवाई में रखा गया।

एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों का काउंसलिंग किया गया। दोनो पक्ष साथ रहने के लिए तैयार है। इनकी विस्तृत लिखा-पढ़ी कर एग्रीमेंट तैयार किया जायेग व 1 वर्ष तक दोनो पक्षों की निगरानी की जायेगी। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों के मध्य पूर्व में भी कई बार चर्चा हुई लेकिन एक मुश्त भरण-पोषण को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई। आवेदिका के सुविधा अनुसार गहनों की लिस्ट आयोग में दिया गया है। अनावेदक ने आवेदिका के गहने को गिरवी रखा है। गहने मुक्त करा कर आवेदिका को देगा। आयोग ने दोनो पक्षों के मध्य काउंसलर नियुक्त किया व दोनो पक्षों के मध्य गहने की वापसी अनावेदक द्वारा 4 माह के अंदर किया जायेगा। तत्पश्चात् प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा।

एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया। दोनो पक्ष शासकीय सेवा में कार्यरत् है और उनकी दो साल की एक बच्ची है। आयोग ने समझाईश दिया कि दोनो के पास प्र्याप्त आधार है लेकिन वे तलाक नहीं लेना चाहते। आयोग ने उन्हें न्यायालय जाने का आदेश दिया। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

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